SC से पत्रकार अमिश देवगन को राहत, सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी मामले की जांच पर अगली सुनवाई तक लगी रोक
अमिश देवगन (Amish Devgan) की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि शो के दौरान 'अनजाने में गलती' हो गई थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी भी मांग ली थी.
एफआईआर रद्द करने की मांग
अमिश देवगन ने रिट याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने नोटिस जारी किया है. देवगन की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. वकील सिद्धार्थ लूथरा के साथ साथ एडवोकेट मृणाल भारती और विवेक जैन ने इस मामले में पैरवी की. उन्होंने कहा कि शो के दौरान 'अनजाने में गलती' हो गई थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी भी मांग ली थी. उनका तर्क था कि पत्रकार के खिलाफ 'जुबान फिसलने' के चलते एफआईआर दर्ज करना ठीक नहीं है. लूथरा ने कहा, 'लोग गलती करते हैं और उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी है.'
अमिश देवगन ने इस गलती के लिए टीवी पर भी माफी मांगी थी. इसके बाद उन्होंने ट्विटर पर गलती मानते हुए लिखा था, 'अपनी एक बहस में, मैंने अनजाने में 'खिलजी' को चिश्ती कह दिया. मैं ईमानदारी से इस गंभीर त्रुटि के लिए माफी मांगता हूं और ये सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों के लिए दुख की बात हो सकती है, जिन्हें मैं सम्मान देता हूं. मैंने भी पहले उनकी दरगाह पर आशीर्वाद लिया है. मुझे इस गलती पर खेद है.'
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